महुआ और महुवारी की वो मदहोश करने वाली खुश्बू
चलिये ! आज फिर से आप लोगो को गांव ले चलते हैं, जानते हैं ये क्या है ? ये महुआ/महुवा (Mahua) है और महुवा को कैसे भूल सकते हैं, बचपन में नानी रोज सुबह सुबह मुझे महुवा बीनने के लिए उठा देती थी। जो मेरे लिए किसी दण्ड से कम नही होता था क्योकि देर तक सोने की लालची थी और मैं गुस्से से मुह फुला कर टोकरी लेकर अपनी सहेलियों की टोली के साथ महुवा बीनने महुवारी के लिए चल पड़ती थी लेकिन वहाँ पहुँचते ही सारा गुस्सा काफूर हो जाता था।
महुवा Mahua के बाग में जाते ही मन प्रफुल्लित हो जाता था सुबह सुबह ताजी हवा, चिड़ियों का मधुर कलरव, कोयल का कूकना महुवे की मीठी मीठी मदहोश करने वाली खुश्बू और उस पर तोते द्वारा काटकर गिराए गए कच्चे आम को चटखारे लेकर खाने का अद्भुद स्वाद, बचपन के इन सब क्रिया कलापो में जो अनुभूति होती थी वो किसी स्वर्ग से कम नहीं थी। हमारे यहाँ महुवे के फूल से तरह तरह के पकवान बनाये जाते थे। महुवे को और गेहू के आटे को भूनकर “ढेके” जिसमे धान को कूटकर चावल बनाया जाता है उसी में कूटकर लाटा बनाया जाता था। ताजे महुवे के रस में गेहू के आटे को गूंथकर ठेकुवा बनता था, महुवे के रस में गेहू के आटे को मिलाकर लापसी बनती थी। महुवा Mahua महारानी अर्थात देशी दारू के बारे में तो सबको पता ही है। ये जानकारी तो महुवे के फूल की थी अब उसके फल के बारे में सुनिये जब महुवे का फूल गिरना बंद हो जाता था तब उसका फल इकट्ठा किया जाता था जिसे कोइन बोलते थे।
कोइन को इकट्ठा करके उसके मांसल गुदे को निकालकर उसकी गुठली इकट्ठी की जाती थी फिर सारी गुठली को रात में पानी मे भिगो दिया जाता था और अगले दिन दोपहरी में आम के पेड़ के नीचे महफ़िल जमती थी जहाँ कोई किस्से कहानी की किताबें पढ़ता था तो कोई सिलाई कढ़ाई करता था बच्चे घर घरौंदा बनाने खेलने में मस्त होते थे। बड़े बूढ़े आपस मे देश दुनिया की बात करते और पत्थर या ईंट के छोटे टुकड़े से मार मार कर कोइन की गुठली तोड़कर उसकी गिरी निकालते थे उसकी गिरी निकालकर सूखा लिया जाता था फिर गिरियों को कोल्हू में पेराई करके उसका तेल निकलवाते थे। महुवे का तेल भी बहुत उपयोगी होता था । महुवे के तेल में नीबू की पत्तियों को जला तेल का कड़वापन दूर कर उसे खाद्य तेल के रूप में उपयोग में लाया जाता था। महुवे का तेल हाथ पांव में लगाने से हाथ पैर मुलायम होते थे। किसी के पांव चाहे कितनी ही बिबाई फ़टी हो महुवे का तेल रामबाण इलाज होता था। तो इसकी खली जानवरो के लिए पौष्टिक आहार होता था। मेरे पास तो फिलहाल बस इस बारे में इतनी ही जानकारी थी। आप सबके पास इससे जुड़े कोई किस्से कोई जानकारी हो तो कॉमेंट के माध्यम से जरूर साझा कीजिये।
लेखिका: अरुणिमा सिंह
thanks and please like my site http://www.rajjob.wordpress.com
Nice information
Pingback: क्या आप भूल गए वो दिन जब तख्ती लेकर स्कूल जाते थे ? - Khas Press
Pingback: क्या आपको पता है प्याज में छुपा ये बेहतरीन राज, जानकर हैरान रह जायेंगे !! - Khas Press
Pingback: माँ : मेरे जीवन में माँ का स्थान - मातृ-दिवस विशेष - Khas Press
Pingback: गांव का बचपन और बचपन की कुछ यादें - Khas Press