क्या है आत्मनिर्भर भारत अभियान, किन क्षेत्रों को मिलेगा लाभ

AatmNirbhar Bharat

भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने दिनांक 12 मई 2020 को राष्ट्र के नाम सम्बोधन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ले जाने के लिए देश की जनता से आह्वान किया, साथ ही सरकार की तरफ से विभिन्न क्षेत्रों में भारत सरकार द्वारा सहयोग करने के लिए एक वृहद् आर्थिक पैकेज की घोषणा भी की। वैश्विक महामारी के दौरान सभी देशों में आयात-निर्यात प्रभावित हुआ है साथ ही बड़े पैमाने पर लोगों के रोजगार पर बुरा असर हुआ है। कुछ लोगों के रोजगार बंद हुए हैं तो कुछ लोगों की नौकरी भी गयी है ऐसे में देश की 130 करोड़ जनसँख्या में से गरीबों, मजदूरों, और प्रवासियों जिनपर कोरोना से हुए लॉकडाउन का सबसे अधिक प्रतिकूल प्रभाव हुआ है, को सहायता पहुँचाना सरकार का दायित्व है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान:

इसलिए इस संकट की घड़ी में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ही इस विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा हुई है, जिसमें देश की सकल घरेलु उत्पाद (GDP) का 10% (20 लाख करोड़ रुपये) का बजट रखा गया है। प्रधानमंत्री ने इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान का नाम दिया है।

इस आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत कुल आर्थिक पैकेज को निम्नलिखित क्षेत्रों में वितरित किया जायेगा –

सरकारी क्षेत्र में सहायता:

  • उधार की सीमा में वृद्धि: राज्य सरकारों की उधार सीमा को वर्ष 2020-21 के लिए सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के 3% से बढ़ाकर 5% किया जाएगा। इससे राज्यों को 4.28 लाख करोड़ रुपये के रूप में अतिरिक्त संसाधन मिल सकने का अनुमान लगाया गया है।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम का निजीकरण (PSEs companies)

व्यवसायों के लिए उपाय (MSMEs सहित) और सहयोग:

  • व्यवसायों के लिए संपार्श्विक मुक्त (Collateral free) ऋण: इसके अंतर्गत सभी व्यवसायों (एमएसएमई सहित) को तीन लाख करोड़ रुपये तक के ऋण प्रदान किए जाएंगे।
  • एमएसएमई के लिए संरचना: एमएसएमई के लिए 10,000 करोड़ रुपये के कोष की स्थापना करने का प्रावधान।
  • एमएसएमई के लिए अधीनस्थ ऋण: सरकार एमएसएमई को अपने अधीनस्थ व्यवसायों को ऋण के 20,000 करोड़ रुपये की सुविधा देगी।
  • एनबीएफसी (NBFC) के लिए योजनाएं: एक विशेष लिक्विडीटी योजना की घोषणा की गई जिसके तहत 30,000 करोड़ रु प्रदान किए जाएंगे।
  • कर्मचारी भविष्य निधि (EPF): पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत, सरकार ने 12% नियोक्ता और 12% कर्मचारी योगदान का भुगतान EPF खातों में किया। इससे व्यवसायों और श्रमिकों को 2,500 करोड़ रुपये की लिक्विडीटी राहत प्रदान किये जाने का अनुमान है।
  • वैधानिक पीएफ योगदान: ईपीएफओ द्वारा अगले तीन महीनों के लिए कवर किए गए सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के वैधानिक पीएफ योगदान को 12% से घटाकर 10% किया जाएगा।
  • स्ट्रीट वेंडर: प्रत्येक वेंडर को 10,000 रुपये तक की प्रारंभिक वर्किंग कैपिटल के लिए बैंक द्वारा क्रेडिट प्रदान किया जाएगा।
  • सभी MSMEs के बकाया भुगतान को शीघ्रता से पूरा किया जायेगा।
  • दिवाला हो चुके प्रतिष्ठानों को समाधान प्रदान किया जायेगा।
  • वैश्विक निविदाओं को आमंत्रित नहीं किया जायेगा।
  • टीडीएस और टीसीएस दरों में कटौती की जाएगी।
  • कॉर्पोरेट्स के लिए व्यापार करने के लिए उचित माहौल तैयार किया जायेगा।
  • एमएसएमई की परिभाषा: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 में संशोधन करके एमएसएमई की परिभाषा को बदला जाएगा और इसमें कुछ संसोधन के साथ नए रूप में पेश किया जायेगा।
  • कंपनी अधिनियम, 2013 में संशोधन करने की योजना है।

कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सहायता:

  • किसानों को रियायती ऋण बूस्ट
  • एग्री इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड
  • किसानों के लिए आपातकालीन कार्यशील पूंजी: किसानों के लिए आपातकाल में कार्यशील पूंजी के रूप में 30,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त फंड जारी किये जाने की घोषणा की गयी।
  • मछुआरों को सहायता: मरीन, अंतर्देशीय मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर में गतिविधियों पर 11,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 9,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
  • पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास: 15,000 करोड़ रुपये का विकास कोष स्थापित किया जाएगा जोकि एक पशुपालन बुनियादी ढांचे के लिए होगा।
  • सीएएमपीए फंड का उपयोग कर रोजगार बूस्ट: सरकार आदिवासियों / आदिवासियों के लिए रोजगार सृजन की सुविधा के लिए योजना प्राधिकरण (CAMPA) के तहत 6,000 करोड़ रुपये की योजनाओं को मंजूरी देगी।
  • आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन
  • कृषि विपणन सुधार
  • कृषि उपज मूल्य का उचित निर्धारण और गुणवत्ता आश्वासन

प्रवासी कामगार के लिए सहायता:

  • वन नेशन वन कार्ड
  • प्रवासियों को मुफ्त अनाज की आपूर्ति: इस योजना पर 3,500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, और आठ करोड़ प्रवासियों को इसके तहत लाभ होने का अनुमान है।
  • प्रवासी श्रमिकों और शहरी गरीबों के लिए किफायती किराये के आवास परिसर (ARHC) उपलब्ध कराये जाने की योजना।

नागर विमानन क्षेत्र में सहायता:

  • कुशल हवाई क्षेत्र प्रबंधन: विमानन क्षेत्र के लिए प्रति वर्ष 1,000 करोड़ रु. उपलब्ध कराये जाने की योजना।
  • हवाई अड्डों के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल: इन 12 हवाई अड्डों में निजी क्षेत्र का निवेश होने की उम्मीद है।

रक्षा क्षेत्र में सहायता:

  • स्वचालित मार्ग के तहत रक्षा निर्माण में FDI सीमा 49% से बढ़ाकर 74% की जाएगी
  • उत्पादन के मामले में देश को स्वतंत्र बनाने के उद्देश्य से रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा दिया जाएगा। हथियारों/प्लेटफार्मों की एक सूची जारी की जाएगी जो एक वर्ष के समय पर आधारित आयात के लिए प्रतिबंधित होंगे।
  • इसके अलावा, सरकार ने आयुध निर्माणियों की स्वायत्तता, जवाबदेही और दक्षता में सुधार करने की भी योजना बनाई है।

ऊर्जा के क्षेत्र में सहायता:

  • वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के लिए तरलता समर्थन: बिजली डिस्कॉम को 90,000 करोड़ रुपये की तरलता सहायता प्रदान की जाएगी।
  • कोयला निकासी: कोयले की निकासी के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर 50,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
  • उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा
  • विनियामक संपत्ति
  • बिजली वितरण का निजीकरण
  • वाणिज्यिक कोयला खनन
  • क्रॉस-सब्सिडी में कमी

आवास के क्षेत्र को सहायता:

  • मध्यम आय समूह (एमआईजी) के लिए क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना: सरकार ने अनुमान लगाया है कि इससे आवास क्षेत्र में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा।
  • रियल एस्टेट क्षेत्र को सहायता: राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों के लिए COVID -19 की वजह से बहुत आघात पंहुचा है, जिसे RERA के माध्यम से राहत पहुंचाई जाएगी।

सामाजिक क्षेत्र को सहायता:

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य
  • MGNREGS के लिए आवंटन: यह MGNREGS के लिए केंद्रीय बजट आवंटन को 61-21 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2020-21 के लिए 1,01,500 करोड़ रुपये (65% वृद्धि) कर देता है।
  • वायबिलिटी गैप फंडिंग: सामाजिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कुल खर्च 8,100 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
  • प्रौद्योगिकी संचालित शिक्षा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा लिया गया प्रमुख उपाय:

आत्मनिर्भर भारत के लिए जिस समग्र वित्तीय पैकेज की घोषणा की गई है, उसमें आरबीआई द्वारा घोषित उपायों से उत्पन्न Liquidity भी शामिल है। मद राशि (रु. करोड़ में)

पहले के उपायों से सहायता राशि – 1,92,800
भाग 1 में: घोषणाओं द्वारा प्रदान की गई सहायता राशि – 5,94,550
भाग 2 में: घोषणाओं द्वारा प्रदान की गई सहायता राशि – 3,10,000
भाग 3 में: घोषणाओं द्वारा प्रदान की गई सहायता राशि – 1,50,000
भाग 4 में: घोषणाओं द्वारा प्रदान की गई सहायता राशि – 5 48,100
उप योग- 1,295,400
RBI के उपाय- 8,01,603
कुल योग- 20,97,053

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