UK के बच्चो द्वारा अपनी खिड़कियों पर इंद्रधनुष का चित्र क्यों लगाया जा रहा है, वजह जानकर आप भी सराहना करोगे !
कई बार समष्टि में अकेले पन का एहसास होता है और ये एहसास तब खतरनाक होता है जब व्यक्ति या समूह द्वारा ये मान लिया जाता है कि ब्रह्मांड में कृत्य केवल वो ही कर रहे है। कोरोना के कारण दो चीजें हुई है पहला पूरी दुनिया को एक कर दिया है और दूसरा ये कि इस एकता के बीच संदेह और तिरस्कार के बीज कही गहरे बो दिए गए। जहाँ एक ओर बहुसंख्यक वैश्विक आबादी मिल कर अपने अपने तरीके से इस बीमारी से लड़ रही है तो कुछ अल्पसंख्यक आबादी अलग अलग घटनाओ को लेकर अपने द्वेष वाले राग अलाप रही है। “Rainbow paintings by Children”
भारत में जहां दिए जलाकर एकता दर्शायी गयी तो वही इस एकता का राजनीतिकरण करने का प्रयास कुछ पार्टियों के समर्थकों औऱ विरोधियों के द्वारा किया गया।
दुनिया में हम अकेले नही है, UK में बच्चों के द्वारा एक अनूठा प्रयास किया जा रहा है और वो है अपनी खिड़की को इंद्रधनुष की पेंटिंग से ढक देना। सोशल मीडिया में एक हैशटैग इसी को लेकर चल रहा है और बच्चे बढ़ चढ़ कर इसमे हिस्सा ले रहे है। इंद्रधनुष का रंग नई ऊर्जा लेकर आता है जब सूर्य का प्रकाश बादलों की कालिमा को भेदता हुआ धरती को प्रकाश देता है। हमारा देश भी सूर्य से इसी असतो मा सद्गमय की कामना करता है।
इंद्रधनुष अनेक रंग से मिल कर बनता है जो हमे सामाजिक और लैंगिक असमानता में भी ये बताता है कि हम सब उसी प्रकृति से जन्मे है जो कोई भेदभाव नही करती। सारे रंगों के जन्मदाता का कोई रंग नही। कोरोना वही बादल है और प्रकृति हमे यही संदेश दे रही है कि अपने रंगों को सहेजते हुए हम दूसरे रंगों से एकाकार होना सीख ले। पश्चिम में इंद्रधनुष का कुछ और भी महत्व है जिसमे LGBT आंदोलन के दौरान इस्तेमाल किया झंडा जिसमे बना इंद्रधनुष लैंगिंक समानता को दर्शाता था। टूटू द्वारा Rainbow Nations की परिकल्पना जिसमे विभिन्न संस्कृति और सामरिक, आर्थिक क्षमता वाले अफ्रीकी देशों का समुच्चय तैयार किया गया था।
एक धनुष बिन बाण काटे, हर दुखो के बादल है वो !
नित्या द्विवेदी
संभला -संभला हर कोय न पाता , इनके दीदार ही है वो !!
रंगो की दुनिया मे बसा है, पर मंजिल इनकी एक ही है वो !
सात अलग रंग मिल, एक रूप मे झलके !
एकता अखंडता का, पैगाम देता है वो !!
राजनीति के परचम शिखर पे, आस की किरण है वो !
राजनीति के आड़े मे, कूटनीति का खेल खेलने वाले !!
खिलाड़ी है जो, बाकी तो मोहरा है वो !
सीख जरा उस तार से, खींच के लाता पानी है वो !
तो क्यो न करते,ऐसी बात परास्त हो !!
हर खिलाड़ी है जो, फैले समरसता की दीप हर
हर बुराई का नाश हो !
अंबर बरसे नीर न तड़पे, ऐसी हर चाहत है वो !!
इस दुखियारी धडी मे भी आस औ काश के बीच अंतर है।
बहरहाल UK और US के बच्चो द्वारा किया जा रहा ये प्रयास सराहनीय है और मासूमियत सी ताजगी भरा भी। Rainbow Paintings by Children
लेखक: मयंक मिश्रा (कानपुर)