असमय जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का जिम्मेदार कौन?

Climate Change due to global warming

असमय बारिश और ओला वृष्टि से अन्न दाता किसानों की फसलों का बहुत नुकसान हुआ है। इस आपदा से आज अन्न दाता सदमे में है। साथ ही चीन के वहां शहर से पुरे विश्व में फैलने वाले कोरोना जैसे विचित्र वायरस से पूरी दुनिया दहशत में है। प्रकृति की नाराजगी स्पष्ट दिखाई दे रही है और संदेश भी साफ है। इस तरह का असमय जलवायु परिवर्तन (Climate Change) ग्लोबल वार्मिंग की देन है। दुनिया के बहुत सारे देश अपनी प्रगति की रफ्तार बढ़ाने के लिए अत्यधिक जहरीली गैसों का उत्सर्जन कर रहे हैं जो कि यह पूरी दुनिया के लिए घातक होता जा रहा है। दुनिया के सभी देशों को मिल कर इस पर लगाम लगानी होगी। हमने पूरी दुनिया में हाल के वर्षों में प्रकृति का तांडव देखा है जिसमें भारत के बिहार में जल प्रलय, केरल में जल प्रलय, कश्मीर में जल प्रलय, आंध्र प्रदेश की सुनामी आदि शामिल हैं।

हाल के वर्षों में हमने देखा है कि कहीं जल प्रलय है तो कहीं 50-100 किमी पर सूखा पड़ गया। पर्यावरण की रक्षा अधिक ऑक्सीजन उत्सर्जन करने वाले पेड़ जैसे पीपल, बरगद, पाकड़, देशी आम आदि लगा कर ही किया जा सकता है। जल नहीं होगा तो पेड़ नहीं होंगें और अधिक ऑक्सीजन उत्सर्जन वाले पेड़ नहीं होंगे तो पर्यावरण दूषित होगा और पर्यावरण दूषित होगा तो धरती पर वन्य जीव जन्तुओं की रक्षा नही होगी। ज़रा सोचिये अगर गंदी गैस से हम आधे मिनट में मर सकते है जैसा कि बार बार समाचार पत्रों में पढ़ने को मिलता है कि सीवर या पुराने कुएं में सफाई के दौरान जहरीली गैस निकलने से आदमी की मौत!!! तो क्या शुद्ध ऑक्सीजन से मरता हुआ आदमी जिंदा नहीं हो सकता??

पहले जमाने में आदमी की अधिक तबियत खराब होने पर वैद्य पहाड़ी इलाके में जाने और कुछ दिन वहाँ रहने की सलाह देते थे। ऐसा क्यों? क्यों कि पहाड़ो में वायु शुद्ध और स्वास्थ्यप्रद होती है। भारत में हमारे पूर्वजों के हजारों साल तक तपस्या में लीन हो कर जीने का वर्णन यहाँ के प्राचीन ग्रंथो में मिलता है। दुनिया को अब समझ आ रहा कि सारा खेल शुद्ध वायु का है। Climate Change दूषित वातावरण से ही हो रहा है।

अगर समय पर नहीं सचेत गए तो ऐसे ही प्रकृति का तांडव होते रहना निश्चित है और ये सृष्टि के लिए भी विनाशकारी स्तर तक जा सकता है। अतः हमारा ये कर्तव्य बनता है कि हम सब मिल कर ऑक्सीजन उत्सर्जन वाले अधिक से अधिक पेड़ लगाएं, जल और प्रकृति की रक्षा करें और आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ जीवन जीने की सौगात दें।

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