भारतीय नववर्ष – नव सम्वत्सर, परंपरा एवं महत्व

जैसा कि हम सबको पता है कि ईस्वी सन में नए वर्ष का प्रारंभ 1 जनवरी और विक्रमी सम्वत्, शक सम्वत् व भारतीय नववर्ष (Bhartiya Nav Varsha- Indian New Year) का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को होता है।
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आईये भारत के इन दोनों प्रसिद्द सम्वत् के बारे में जानते हैं:
शक सम्वत् – यह भारत सरकार का अधिकारिक पंचांग है अर्थात इसको भारत का राष्ट्रीय पंचांग भी कह सकते हैं। इस सम्वत् को सरकारी पंचांग/कैलेंडर के रूप में अपनाने के पीछे कारण यह है कि, कुछ प्राचीन ग्रंथों व लेखों तथा शिला लेखों में इसका वर्णन मिलता है। अतः यह बाहरी लोगों के लिए तुलनात्मक रूप में विक्रम सम्वत् से अधिक प्रामाणिक है ,क्योंकि विदेशी तो वैसे भी भारतीय संस्कृति को हेय दृष्टि से देखते थे, हालाँकि अभी उन लोगों के दृष्टिकोण में काफी सुधार आया है और अब वो लोग भारतीय संस्कृति और परम्पराओं से जुड़ रहे हैं। शक सम्वत्, विक्रम सम्वत् से 135 वर्ष बाद शुरू हुआ जबकि ईस्वी सन से 78 वर्ष बाद शुरू हुआ, 2020 – 78= 1942। इस प्रकार अभी अप्रैल 2019 से शक सम्वत् 1941 चल रहा है, आगामी 25 मार्च, 2020 से शक सम्वत् 1942 प्रारम्भ होगा।
विक्रम सम्वत्– यह सम्वत् राजा विक्रमादित्य के द्वारा प्रारंभ किया गया था। । राजा विक्रमादित्य उज्जयिनी (उज्जैन) के शासक थे जिन्होंने शकों को परास्त करने के उपलक्ष्य में इस सम्वत् का प्रारम्भ किया इसीलिए उन्हें “शकारि” कि उपाधि मिली। आपको शायद पता हो कि उज्जयिनी ऐसी जगह है जहाँ से कर्क रेखा गुजरती है, अतः वहां से समय गणना की कई महत्वपूर्ण घटनाएं जुडी हुई हैं, जिसके कारण उस जगह की मान्यता है। उनके समय में सुप्रसिद्द खगोल शास्त्री वराहमिहिर थे, जिनकी सहायता से इस सम्वत् की गणना सुधार में काफी मदद मिली इसलिए इस सम्वत्के प्रसार में भी कठिनाई नहीं आई और ये एक प्रामाणिक पंचांग माना गया।
यह सम्वत् अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है, 2018 + 57 = 2075 । इस प्रकार अभी 2019 अप्रैल से विक्रम सम्वत् 2076 चल रहा है तथा आगामी २५ मार्च से विक्रम सम्वत् 2077 प्रारम्भ होगा।

इसके अतिरिक्त कुछ अन्य सम्वत् और भी हैं लेकिन वो कम प्रचलन में हैं।
हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष का आगमन होता है जिसे नवसम्वत्सर भी कहा जाता है। चैत्र नवरात्रि का प्रारंम्भ भी इसी दिन से होता है। भारत वर्ष में नववर्ष को विभिन्न संस्कृतियों में भिन्न-भिन्न नामों से जानते हैं, और अलग अलग तरीकों से मानते हैं। यही हमारे देश की विभिन्नता में एकता को दिखाता है। इस अवसर पर प्रकृति में बहुत ही सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलता हैं इसीलिए नववर्ष के लिए ये सबसे उपयुक्त समय होता है।
इस अवसर पर हमारे देश और प्रकृति में क्या क्या परिवर्तन होते हैं आईये जानते है:
1- इस नववर्ष (Bhartiya Nav Varsha) के अवसर पर प्रकृति भी जैसे नए वर्ष के स्वागत के लिए तैयार रहती है, चारों तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं, चारों तरफ हरियाली छायी रहती है मानों प्रकृति नया साल मना रही हो I
2- मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है, नई कक्षा और नए सत्र का आगमन यानि विद्यालयों में भी नया साल होता है I
3- 31 मार्च को देश के सभी बैंको की क्लोजिंग होती है पुराने हिसाब किताब पुरे करके बही खाते बंद होते हैं और नए बही खाते खोले जाते हैं, भारत सरकार का भी नया सत्र प्रारम्भ होता है।
4- इसी मास से विवाह और अन्य शुभ एवं मांगलिक कार्य प्रारम्भ होते हैं, जोकि नए पंचांग से ही मुहूर्त देख कर किये जाते हैं I इसके बिना हिन्दू समाज में जीवन संरचना ही गड़बड़ हो जाएगी, इसलिए भारतीय पंचांग का बहुत महत्व है।
5- मार्च-अप्रैल में नयी फसल पक कर तैयार हो जाती है। नया अनाज घर में आता है, तो किसानों का भी नया वर्ष और खुशहाली का समय होता है।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :
1- चैत्र प्रतिपदा के दिन ब्रम्हा जी द्वारा सृष्टि की रचना की थी,
2- महाराज विक्रमादित्य ने शकों को पराजित कर विक्रमी संवत् की शुरुआत आज से की थी
3- आज ही प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक हुआ था।
4- इसी दिन नवरात्र का पहला दिन होता है।
5- सिख गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिन होता हैं ।
6- आज ही के दिन भगवान झूलेलाल का जन्मोत्सव आज ही होता है।
7- धर्मराज युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ था।
भारतीय नववर्ष (Bhartiya Nav Varsha) कैसे मनाएँ :
1- अपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के बधाई संदेश भेजें।
2- अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फहराएँ।
3- घरों के द्वार, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ।
4- घर की साफ़ सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।
5- धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करें में एवं कार्यक्रमों में भाग लें।
6- कलश यात्रा, शोभा यात्रा, भजन संध्या, महाआरती आदि का आयोजन करें एवं भाग लें।
7- कलश यात्रा, शोभा यात्रा, भजन संध्या, महाआरती आदि का आयोजन करें एवं भाग लें।
सही अर्थों में अपना नव सम्वत् ही नया साल है, जब समस्त प्रकृति से लेकर सूर्य चंद्र एवं नक्षत्र की दिशा, मौसम, फसल, पौधों की नई कोपलें, नई फसल, नई कक्षा, मनुष्य में नया उत्साह आदि परिवर्तन होते हैं, जो विज्ञान आधारित भी हैं
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