नशा – सिर्फ व्यक्ति ही नहीं पूरे परिवार और समाज को पहुंचाता है नुकसान

Nasha

लगभग 80% लोग किसी न किसी प्रकार के नशे (नशा-Intoxication) का सेवन करते हैं। युवा पीढ़ी से लेकर महिलाये बुजुर्ग यहाँ तक बच्चे भी इससे अछूते नही है। मुँह में गुटखा, पान, सुपारी भरे बाइक पर फर्राटे मारते, सिगरेट पर सिगरेट फूंकते हमारी युवा पीढ़ी आपकी हर जगह नजर आ जायेगी। नशा करना शौक नही बल्कि उनका फैशन है दोस्तों के बीच मॉर्डन लगने के लिए ये सब करना जरूरी होता है।

कभी सोचा है जब ये आपका फैशन गम्भीर रूप धारण करता है तब आपको क्या भुगतना पड़ेगा शायद नही क्योकि सोचना जरूरी नहीं समझते हैं और अगर आप समझाना चाहेंगे भी तो ये आपको ही समझा देगे-“क्या दीदी न जाने कितने लोग तो पीते खाते हैं क्या सब कोई मर ही जाता है!” भगवान न करे कि इसकी वजह से किसी बीमारी की चपेट में आये कोई, क्योकि जिसने नशे (नशा-Intoxication) की वजह से मुँह के कैंसर, टीबी जैसे गम्भीर बीमारी के चपेट में इंसान को करीब से देखा होगा उसका कलेजा दहल होगा।

हमारे बगल के गांव में एक व्यक्ति को मुँह का कैंसर हुआ था गरीब लोग थे जितनी जमा पूंजी थी जब तक सम्भव हुआ दवा कराया बीबी बच्चो ने लेकिन जब डॉक्टर ने जबाव दे दिया तो घर ले आये इलाज कराते भी तो कैसे घर में बीबी बच्चो को खाने के लिए कुछ नहीं था घर का मुखिया बिस्तर पर पड़ा अपनी आखिरी सांस गिन रहा । उस परिवार के जैसी दुर्दशा तो भगवान किसी की न करे पूरा परिवार भूखा बैठा रहता था घर का पालनहार जब भूख से तड़पता था लेकिन हलक के नीचे पानी की घूंट तक नही उतरती थी तब परिवार के गले से नीचे खाना कैसे उतरे, घरवाले वेचारे भगवान से उनके अच्छे होने की दुवा नही मांगते थे बल्कि उनकी मौत होने की फरियाद करते थे कि “रब्ब अब इनके दुःख दूर कर दे इनको मौत दे दे ये तकलीफ अब न हमसे देखी जा रही है न इनसे झेली जा रही है।

एक 45 साल का हठ्ठा कट्टा आदमी इसे नशे (नशा-Intoxication) के चलते पुरे परिवार को दुःख के सागर में धकेल कर चला गया उसकी तो इतनी दर्दनाक मौत हुई और पीछे बेसहारा बीबी और बच्चे भूखे मरने के कगार पर पहुँच गये।
क्या मिलता है आखिर इस जहर को मुह में भर कर फिर थूक कर ?
क्यों खाते हो इसे आप सब जरा सोचिए ?
क्या मिलता है इतनी महंगी जहर जैसी शराब पीकर बीड़ी सिगरेट के कश फूंककर ?

अगर इसको खाने से कोई फायदा नहीं है सिर्फ नुकसान ही नुकसान है तो इसको छोड़ने की कोसिस क्यों नहीं करते आप सब ।
मैं मानती हूं आदत पड़ जाने पर छोड़ना मुश्किल होता है लेकिन कोशिस करने में क्या जाता है ये आदत भी तो धीरे धीर खाने की सुरुवात करने पर ही पड़ी है तो धीरे धीरे इसे छोड़ने की भी आदत डालिये अपने लिए न सही अपनों के लिए छोड़ने की कोशिश कीजिये जिन्हें आप बहुत प्यार करते हैं उनके लिए करके देखिये एक बार नशे को छोड़ने का फैसला करके घर में बताइये फिर घरवालों के चेहरे पर खुशी की चमक को देखिये यकीन मानिए आप इस जहर से जरूर पूर्ण रूप से दूर हो जाएंगे और अपने परिवार के साथ अपनी लम्बी जिंदगी जियेंगे।

लेखिका – अरुणिमा सिंह

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