भारत U शेप इकॉनमी ग्रोथ की ओर अग्रसर – अर्थव्यवस्था विशेष
हाल ही में जबकि अमेरिका के राष्ट्रपति अगले चुनाव की तैयारी के दौरान बता रहे थे कि अमरीका V शेप इकॉनमी growth को पा चुका है, ये चर्चा होना लाजमी था कि भारत की स्थिति क्या रहेगी। अनेक अर्थशास्त्रियों का मत था कि भारत की ग्रोथ U शेप की रहेगी। अगर GDP ग्रोथ रेट और समय के बीच एक ग्राफ खींचा जाए तो जिस इकॉनमी को रिकवर होने में कम समय लगता है उसका curve V शेप के ज्यादा करीब होगा। जितना ज्यादा समय लगता है उतना ही U शेप का साइज बड़ा होता जाता है। उम्मीद है कि भारत का U अमेरिका के V से ज्यादा अलग न दिखे। अर्थशास्त्र के नज़रिये एक अच्छी खबर ये है कि भारत का फोरेक्स रिज़र्व lockdown की अवधि में बढ़ा है जिसका कारण विदेशी निवेश में वृद्धि, पेट्रोल और डीजल के दाम में कमी तथा कम आयात, विदेश को जाने वाले remittance में 2/3 की कमी इत्यादि है।
अर्थशास्त्र के बाज़ार में कुछ और भी शेप और साइज उपलब्ध हैं जिनमे Z शेप सबसे पसंदीदा है। जब अर्थव्यवस्था कुछ समय के लिए रुक जाती है लेकिन इस अवधि में कार्यात्मक हानि नही होती तो जैसे ही अर्थव्यवस्था खुलती है ये हानि पूरी कर ली जाती है। जैसे आपको आज बाल कटाना है लेकिन एक हफ्ते तक कोई नाई न हो। आप हफ्ते भर बाद बाल कटा लेंगे जिसमे किसी तरह की हानि नही होती।
U और V शेप: जब अर्थव्यवस्था लंबे समय तक बंद हो तो कार्यत्मक हानि अवश्यम्भावी होती है। अगर दो महीने बाद नाई की दुकान खुले तो आप दो महीने बाद बाल कटायेंगे और लगभग दो बार/दो महीने की कार्यहानि होगी जिसकी क्षतिपूर्ति नही हो सकती। U और V मे अंतर ऊपर लिखा जा चुका है।
L शेप: अगर अर्थव्यवस्था कभी भी या कई वर्षों तक पुरानी स्थिति में न आ पाए तो उसका आकार L जैसा हो जाता है। किसी चीज में L लग जाना अनेक विश्वविद्यालय के छात्रों की स्लैंग लैंग्वेज में बड़ा ही आसान से समझ आने वाला वाक्य है।
W शेप: W यानी double V या double U….. कोरोना में second वेव की बात हो रही है तो ये भी सम्भव है कि Economy Lock-down दूसरी बार हो और रिकवरी भी। ये उस देश के रिकवरी के रेट पर निर्भर है कि W की परिभाषा क्या होगी।
लेखक: मयंक मिश्रा (कानपुर)