कोरोना लॉकडाउन: मानव जाति के लिए अभिशाप व प्रकृति संतुलन के लिये वरदान
जैसा कि हम जानते हैं कि नदियों की सफाई, जलवायु संरक्षण या प्रदूषण नियंत्रण आदि के नाम पर हर साल भारत सरकार या विश्व कि अन्य सरकार के द्वारा करोड़ों अरबों रुपए खर्च किए जाते हैं। हम इनसे संबधित मंचो, कार्यालयों आदि को व्यवस्थित करने और विचार विमर्श के कार्यान्वयन में बहुत अधिक मात्रा में रुपए खर्च करते हैं। लेकिन उसका पर्यावरण सुधार में कोई खास मूल्यवर्धन नहीं होता है। लेकिन अब जैसा की हम देख रहे हैं कि कोरोना लॉकडाउन का सकारात्मक पक्ष क्या है अर्थात प्रकृति ने पर्यावरण को फिर से साफ सुथरा और व्यवस्थित किया है जो कि कम से कम 100 वर्षों के मानव प्रयास से संभव नहीं था, यही प्रकृति की परम शक्ति है।
तो इस चीज को विचार में रखते हुए क्या हम अनिवार्य रूप से प्रति वर्ष लॉकडाउन के लिए सरकार, संयुक्त राष्ट्र और विश्व की अन्य सरकारों को बाध्य नहीं कर सकते या इस दिशा में कुछ नियम निर्देश बनाने के लिए कोई पहल हो, जिससे कि कम से कम प्रकृति के नाम पर 14 दिन (2 सप्ताह) प्रति वर्ष का लॉकडाउन संभव हो, जिससे कि प्रकृति मानव द्वारा अव्यवस्थित किए गए पर्यावरण को पुनः साफ और सुरक्षित करे। क्या हमने पहले कभी वायु और जल की गुणवत्ता सुरक्षित रखने तथा प्रकृति का संतुलन बना रहे इसके बारे में सोचा? सोचा तो जरूर होगा लेकिन कुछ करने की जहमत नहीं उठायी। वैसे तो प्रकृति में पहले से ही जल, वायु, पेड़-पौधों मृदा, जीव-जन्तु आदि में संतुलन कायम था, जिसे हमने स्वयं नस्ट किया है और इसके फिर इसके लिए जिम्मेदार भी हम ही हैं !
आखिर पिछले कुछ सालों में हमने प्रदूषण को रोकने के लिए क्या-क्या कदम नहीं उठाये, यहाँ तक की कभी ऑड ईवन गाड़ियां चलवाई गयी एयर-प्यूरीफायर लगवाए जाने की योजना बनायी लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। हर प्रदेश में प्रदूषण को रोकने लिए लाखों का बजट बनाया जाता है और अंत में रिजल्ट कुछ नहीं मिलता। प्रदूषण के नाम पर जनता के टैक्स का सारा पैसा कहाँ चला जाता है कुछ पता ही नहीं चलता।
आने वाली पीढियों के लिए आज की हमारी पीढ़ी की तरफ से एक सराहनीय प्रयास करना होगा ताकि हम उन्हें एक सुरक्षित पर्यावरण प्रदान कर सके । आशा करता हूं कि कोरोना लॉकडाउन के बाद जनहित के लिए इस विचार को आप आगे ले जायेंगे या इसमें कोई त्रुटि है तो कृपया उसका पुनरावलोकन और सुधार करके अपने जन प्रतिनिधियों द्वारा माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी एवं मुख्यमंत्री योगी जी तक इस विचार को साझा जरूर करेंगे, जिससे कि सही मंच पर इसके लिए विचार विमर्श हो सके। धन्यवाद !!
लेखक: राम शंकर गुप्ता (सोनू), आईटी प्रोफेशनल, हर्रैया
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