“माँ, मुझे मार डालो!” Beti Bachao – Beti Parhao अभियान की प्रासंगिकता
मैं टीवी पर आज के चर्चित कठुआ रेप कांड का समाचार सुन रही थी, लेकिन ये सुनते हुए मन में कही न कहीं ये विचार चल रहा था कि जिस देश में बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ (Beti Bachao – Beti Parhao) अभियान चलाने की जरुरत पड़ती हो तो कैसे कोई वहाँ पर बेटियों की सुरक्षा के बारे में चिंतित नहीं होगा। तभी एक आवाज़ आती है।
आवाज़ : “माँ, माँ !”
मेरे इधर-उधर देखने पर कोई नहीं। अरे! ये आवाज़ कहाँ से आ रही है ?
आवाज़ : “माँ, माँ, मैं इधर आपके अंदर आपका अंश, आपकी कोख में पल रही नन्ही छोटी बिटिया हूँ।
माँ: बढ़े प्यार से तभी मैंने अपनी बिटिया को पुचकारा और उसका हाल पूछा।
बिटिया : माँ मुझे बहुत डर लग रहा है, मैं बहुत डरी हुई हूँ।
माँ : अरे मेरी लाडो, तू मेरी कोख में सुरक्षित है। मेरे रहते तुझे क्यों डर लगता है। मैं और तेरे पापा तुझे कितना प्यार करते हैं। तेरा कितना ख्याल रखते हैं। तेरे इस दुनिया में आने पर जाने कितने सपने सजा रखे हैं, और तू डर रही है।
बिटिया : हाँ माँ मैं जानती हूँ कि तुम और पापा दोनों मुझे बहुत प्यार करते हैं , मैं तुम्हारी लाडली ही रहूंगी। पर माँ मुझे डर है कि मैं कितने दिन सुरक्षित हूँ ?
शायद तभी तक, जब तक मैं तुम्हारी कोख में हूँ। या तभी तक जब तक मैं तुम्हारी नज़रों के सामने हूँ। पर जैसे ही तुम्हारी नज़रों से ओझल हूँगी, इस दुनिया के भेड़िये कहीं मुझे भी अपनी हवस का शिकार ना बना दें। कहीं मुझे भी उन मासूम लड़कियों की तरह बलात्कार का दर्द ना सहना पड़े। जैसे कठुआ रेप केस की पीड़िता को या निर्भया को सहना पड़ा। मेरा मन उस दर्द की कल्पना मात्र से ही सहम जाता है।
“माँ , मुझे अपनी कोख में ही मार डालो, माँ !” माँ की आँखों में आंसू आ जाते हैं ।
बिटिया : माँ , मैं तुम्हारे करुण रुदन के भाव को महसूस कर रही हूँ। मैं तुम्हें दुःख नहीं पहुंचना चाहती, माँ! मैं तो तुम्हारे और पापा का नाम रोशन करना चाहती थी, मैं तो कल्पना चावला के जैसे आकाश के तारे छूना चाहती थी। मैं तो, लता मंगेशकर, किरण बेदी, सानिया मिर्जा, कर्णम मल्लेश्वरी बनना चाहती थी।
पर माँ आये दिन मासूम लड़कियों के साथ होने वाली बलात्कार की दरिंदगी की घटनाओं से मैं सहम सी गई हूँ। मुझे इस दुनिया में ही कदम रखने पर डर लगता है माँ।
इसलिए !! माँ ! मुझे मार डालो, मुझे अपनी कोख में ही मार डालो !!
हे, पुरुष! कहीं दुनिया की सभी नारियां तुम्हारे अत्याचारों से तंग आकर यही फैसला ले लें, तो सोचो, ” क्या तुम्हारा अस्तित्व इस दुनिया में रहेगा ”
“अपमान मत करना नारियों का, इनके बल पर जग चलता है। पुरुष जन्म लेकर तो, इन्हीं की गोद में पलता है।” और हाँ बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ (Beti Bachao – Beti Parhao)
Author & Writer : Mrs. Sujata Jaiswal
हे, पुरुष! कहीं दुनिया की सभी नारियां तुम्हारे अत्याचारों से तंग आकर यही फैसला ले लें, तो सोचो, ” क्या तुम्हारा अस्तित्व इस दुनिया में रहेगा ”….bilkul sahi kaha…..bahut hi sahi dhang se aapne apni baaton ko rakha.
Bhai bahut badhiya likha hai..!!
Thanks
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