Site icon Khas Press

उत्तर प्रदेश भूजल प्रबंधन एवं विनियमन अधिनियम क्या है ?

उत्तर प्रदेश भूजल प्रबंधन एवं विनियमन विधेयक 2020

उत्तर प्रदेश भूजल प्रबंधन एवं विनियमन विधेयक 2020

भूगर्भ जल विभाग , उत्तर प्रदेश

शहरी क्षेत्रों में भू-जल रिचार्ज की पद्धतियां-

ग्रामीण क्षेत्रों में भू-जल रिचार्ज की पद्धतियां –

उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल ( प्रबंधन और विनियमन ) अधिनियम 2019

(एक परिचय)

उद्देश्य: उत्तर प्रदेश में भूजल संसाधनों की सुरक्षा,संरक्षण, प्रबन्धन एवं नियमन किया जाना, जिससे भूजल की उपलप्धता समान रूप से निरंतर बनी रहे एवं जन-मानस को गुणवत्तापरक भूजल की आपूर्ति सुनिश्चित हो सके ।

अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु प्रस्तावित समितियां:

अधिनियम को बॉटम-अप एप्रोच के आधार पर तैयार किया गया है । अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु प्रत्येक समिति में जन प्रतिनिधि को भी सम्मिलित किया गया है ।

समितियों का गठन तथा उनके कार्य निम्नानुसार हैं :

ग्राम पंचायत भूजल उप समिति :

अध्यक्ष : ग्राम प्रधान

सदस्य सचिव : ग्राम पंचायत सचिव

कार्य:

ग्राम पंचायत ग्राउण्ड वाटर सिक्योरिटी प्लान’ का विकास एवं प्रभावी क्रियान्वयन ।

ब्लॉक पंचायत भूजल प्रबंधन समिति :

अध्यक्ष : ब्लॉक प्रमुख

सदस्य सचिव : खण्ड विकास अधिकारी

कार्य

म्युनिसिपल जल प्रबंधन समिति

अध्यक्ष : नगर प्रमुख / नगर पालिका प्रमुख

सदस्य सचिव : नगर आयुक्त/ अधिशासी अधिकारी

कार्य

अध्यक्ष : जिला अधिकारी

सदस्य सचिव : जिला विकास अधिकारी

कार्य

अध्यक्ष : मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन

सदस्य सचिव : निदेशक भूगर्भ जल विभाग उत्तर प्रदेश

कार्य :

अधिनियम के अंतर्गत मुख़्य कार्य, कार्य क्षेत्र तथा उत्तरदायित्व:

अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ताओं के पंजीकरण करने, भूजल निकास हेतु अनापत्ति निर्गत करने, इत्यादि की पारदर्शी व्यवस्था हेतु ऑनलाइन वेबपोर्टल  को विकसित किया गया है। 

मुख़्य कार्य, कार्य क्षेत्र एवं उत्तरदायित्व :

कहाँ  करना है  –  सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में

पंजीकरण शुल्क – शून्य

उत्तरदायित्व  – म्युनिसिपल तथा ब्लॉक पंचायत भूजल प्रबंधन समिति। 

कहाँ करना है – सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में

पंजीकरण शुल्क –  शून्य

उत्तरदायित्व – ब्लॉक पंचायत भूजल प्रबंधन समिति।

कहाँ  करना है –  सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में

पंजीकरण शुल्क –  धनराशि रु० 5000

उत्तरदायित्व – जिला भूजल प्रबंधन परिषद। 

कहाँ  करना है –  गैर अधिसूचित क्षेत्रों में

पंजीकरण शुल्क – धनराशि रु० 5000

उत्तरदायित्व – जिला भूजल प्रबंधन परिषद।

 को भूजल निकास हेतु अनापत्ति निर्गत करना

कहाँ  करना है –  गैर अधिसूचित क्षेत्रों में

पंजीकरण शुल्क – आवेदन शुल्क  रु० ५०००,  भूजल निकास की मात्रा के अनुसार वार्षिक शुल्क। 

निर्गत अनापत्ति की वैधता  – ०५ वर्ष

उत्तरदायित्व – जिला भूजल प्रबंधन परिषद। 

कहाँ  करना है – सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में

नोट :- पंजीकृत ड्रिलिंग एजेंसी को अधिसूचित क्षेत्र तथा भूजल गुणवत्ता के संवेदनशील क्षेत्रों में ड्रिलिंग कार्य करने की अनुमति नहीं होगी। 

शुल्क – धनराशि रु० ५००० प्रति जनपद

नोट :- प्रत्येक जनपद हेतु ड्रिलिंग एजेंसी को अलग-अलग आवेदन करने होंगे। 

निर्गत अनापत्ति की वैधता  –  03 वर्ष

उत्तरदायित्व  – जिला भूजल प्रबंधन परिषद।

अपराध एवं दंड के प्राविधान :

भूजल अधिनियम में वर्णित समस्त प्राविधानों के किसी भी व्यवसायिक, औद्योगिक, इंफ्रास्ट्रक्टरल एवं बल्क यूज़र्स द्वारा उल्लंघन की स्तिथि में बिल में किये प्राविधानों के क्रम में दंड की व्यवस्था का प्रस्ताव है।  उक्त हेतु मुख्य रूप से निम्न प्राविधान हैं :-

  1. प्रथम अपराध हेतु रु० ०२ लाख से ०५ लाख अर्थ दंड अथवा ०६ माह से ०१ वर्ष का कारावास अथवा दोनों। 
  2. अपराध की पुनरावृत्ति पर प्राधिकार पत्र निरस्त करते हुए उपरोक्त दंड को दोगुना किया जायेगा। 
  3. भूजल प्रदूषण हेतु दोषी पाए जाने की स्तिथि में प्रथम अपराध हेतु ०२ वर्ष से ०३ वर्ष का कारावास एवं रु० ५ लाख से रु० १० लाख अर्थदंड। 
  4. भूजल प्रदूषण हेतु अपराध की पुनरावृत्ति ( राज्य सरकार की पेयजल योजनाओं के अतिरिक्त ) द्वारा आपूर्ति किये जाने वाले भूजल के गुणवत्ता के मापदंड पूर्ण न करने की स्तिथि में न्यूनतम रु० ०२ लाख एवं अधिकतम रु० ०५ लाख का अर्थदंड। 
  5. किसी भी भवन स्वामी द्वारा भूजल रिचार्ज हेतु रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना प्राविधानों के अनुसार न कराये जाने की स्तिथि में दंड। 
  6. बिल में अंकित प्राविधानों में किसी भी तरह के विवाद के समाधान हेतु प्रत्येक जनपद में जिलाधिकारी भूजल शिकायत निवारण अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे। 
  7. भूजल शिकायत निवारण अधिकारी के निर्णय से क्षुब्ध व्यक्ति अपना प्रत्यावेदन राज्य प्राधिकरण को दे सकता है।  जिला भूजल प्रबंधन परिषद द्वारा अधिनियम की धारा ३९ या धारा ४० के अंतर्गत अभियोजन प्रारम्भ करने की  कार्यवाही की जाएगी।

Source : www.upgwdonline.in

Exit mobile version