जब हम कोई वाहन खरीदते हैं तो हमें उसका रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है, जिसके लिए हमें कुछ दस्तावेजों के साथ एक फॉर्म भरके RTO ऑफिस में जमा करना पड़ता है। उसके बाद फीस जमा करना पड़ता है तब कहीं जाकर 1 महीने के लगभग में हमारे वाहन का रजिस्ट्रेशन (Vehicle Registration) हो पाता है और RC बुक डाक के द्वारा हमें प्राप्त होती है।
अब अगर हमें किसी कारण वश दूसरे राज्य में जाकर रहना पड़ता है और हमें अपना वाहन भी साथ ले जाना पड़े तो सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अबतक के नियमानुसार हमें उस राज्य में अपने वाहन का फिर से रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है।
इस तरह से वाहनों के बार बार रजिस्ट्रेशन को लेकर ग्राहकों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन हाल ही में इस नियम के विरुद्ध दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कि गयी है।
इस याचिका को ‘आप’ नेता दीपक वाजपेयी ने एक जनहित याचिका के रूप दिल्ली हाईकोर्ट में दायर किया था, जिस पर जस्टिस तलवंत सिंह और जस्टिस डी एन पटेल की बेंच ने परिवहन मंत्रालय को नोटिस जारी कर उनका पक्ष जानना चाहा है। साथ ही इस को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से भी स्पष्टीकरण माँगा है।
याचिका कर्ता आप नेता दीपक वाजपेयी का ये भी मानना है की इस तरह का नियम ही बेतुका है। याचिका देने के पीछे उनका तर्क है की भारत के किसी भी राज्य में बना ड्राइविंग लाइसेंस पूरे भारत में मान्य होता है तो किसी भी राज्य में हुआ वाहन का रजिस्ट्रेशन (Vehicle Registration) किसी दूसरे राज्य में मान्य क्यों नहीं हो सकता ? उन्होंने इससे केंद्रीय प्रणाली के अंतर्गत रखने पर जोर देते हुए कहा की ऐसे मामले में पहले नए राज्य में टैक्स भरना पड़ता है, फिर पिछले राज्यों में दिए हुए टैक्स को वापस लेना पड़ता है, ऐसे में काफी दिक्कत होती है। साथ ही जिससे वाहन मालिकों को RTO के चक्कर लगाने में काफी समय और पैसा बर्बाद होता है।
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिए गए नोटिस का केंद्र तथा परिवहन मंत्रालय क्या जवाब देते हैं ? और ये नियम हटता भी है या नहीं, ये तो आने वाले समय में पता लग जायेगा। लेकिन अगर ये नियम हटता है तो उन वाहन मालिकों के लिए यह बहुत ही सुविधा जनक रहेगा जो एक राज्य से दूसरे राज्य में वाहन के साथ रहने के लिए जाते हैं।