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बस्ती: जिलाधिकारी को कारगिल शौर्य स्तम्भ की बदहाली के लिए लिखा गया पत्र

Kargil Shourya Stambh Basti

Kargil Shourya Stambh Basti

19 वर्ष पहले आज ही के दिन यानी 26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी। इस दिन को हर वर्ष विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। करीब दो महीने तक चला कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर देशवासी को गर्व होना चाहिए। करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में देश ने लगभग 527 से ज्यादा वीर योद्धाओं को खोया था वहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे। इसी विजय दिवस को याद कर उन पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के लिए बस्ती शहर में आये एक सच्चे अर्थों में राष्ट्रभक्त लोक सेवक श्री विनोद शंकर चौबे ने सन 2000 इश्वी में रोटरी कल्ब से बात कर तत्कालीन रोटरी अध्यक्ष व समाजसेवी श्री अखिलेश दूबे जी के अगुवाई में एक कारगिल शौर्य स्तम्भ (Kargil Shourya Stambh Basti) का निर्माण किया था। यह स्तम्भ कुआनो नदी के तट पर बनाया गया, लेकिन हमेशा से प्राशसनिक उपेक्षा का शिकार रहा।

नगरपालिका बस्ती ने उस पवित्र जगह को कचरा निस्तारण केंद्र बना डाला और उनके विभाग के वाहनों ने स्तम्भ को लड़ा लड़ा कर तोड़ डाला। स्थानीय लोगों ने बहुत सी शिकायते की, नगरपालिका पर मुकदमा का प्रयास किया लेकिन भ्र्ष्टतंत्र में कुछ भी सम्भव नही हो पाया, जिसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्थानीय लोगों की सुनी और नगरपालिका ने कचरा गिराना बन्द किया। लेकिन आज भी सुयश पेपर मिल का कचरा गिर रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता पंकज त्रिपाठी व बृहस्पति पाण्डेय सहित स्थानीय लोगों ने बहुत से जनप्रतिनिधियों, लोकसेवकों से बात की लेकिन किसी को राष्ट्र के इन महान पूर्वजों के सम्मान का कोई फिक्र नही दिखा। शायद भ्र्ष्टाचार ने इनकी बुद्धियों को कुंद कर दिया होगा।

कारगिल शौर्य स्तम्भ बस्ती (Kargil Shourya Stambh Basti) शहर में आ रहे प्रत्येक आगन्तुक का स्वागत करता है, फोरलेन के किनारे बने होने के नाते यहाँ से लेकर कलकत्ता, बिहार, वाराणसी जाने वाले प्रत्येक पथिक का ध्यान बरबस ही खींच लेता है, लेकिन अब लगता है स्तम्भ की दुर्दशा देख प्रत्येक पथिक सिर्फ बस्ती वासियों को ही कोसता होगा।
बस्ती जिलाधिकारी की सक्रियता के बारे में स्थानीय लोगों ने सुना तो लोगों में एक उम्मीद जग गई की शायद जिलाधिकारी द्वारा स्तम्भ के अस्तित्व को बचाने और राष्ट्र की इस अमूल्य सम्पत्ति को छति पहुंचाने वालों के विरुद्ध राष्ट्रद्रोह जैसी प्रभावी कार्यवाही की जायेगी। सामाजिक कार्यकर्ता पंकज त्रिपाठी और बृहस्पति पाण्डेय का मानना है की अगर श्री अखिलेश दूबे जी सहित बस्ती के सभी लोकसेवक एक बार फिर से पहल करते हैं तो सभी आपके साथ होंगे।

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