अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को और भारतीय महिला दिवस 10 मार्च को क्यों मनाया जाता है ?

महिला दिवस - Womens day

हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है लेकिन भारत में बहुत पहले से ही 8 मार्च की जगह 10 मार्च को भारतीय महिला दिवस मनाया जाता है। इसके पीछे एक खास वजह है, ये खास वजह है कि इस दिन देश की पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले का स्मृति दिवस होता है जिन्होंने 19वीं सदी में महिलाओं के अधिकारों, उनकी सुरक्षा, अशिक्षा, छुआछूत, सतीप्रथा, बाल या विधवा-विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठायी थी।

8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस :

वर्ष 1917 में रूस में महिलाओं ने वहाँ के सम्राट निकोलसके खिलाफ महिलाओं को मतदान का अधिकार के देने के लिए एक हड़ताल किया था, जिससे सम्राट निकोलस को अपना पद पद छोड़ना पड़ा था और अंतरिम सरकार ने महिलाओं को मतदान का अधिकार दे दिया था। जिस दिन महिलाओं ने यह हड़ताल शुरू की थी वह जूलियन कैलेंडर के अनुसार फरवरी माह की 23 तारीख थी। किन्तु ग्रेगेरियन कैलेंडर में यह तारीख 8 मार्च थी बस तभी से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाने लगा। कई देशों में इस दिन महिलाओं के सम्मान में अनेक तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

10 मार्च को भारतीय महिला दिवस :

भारत एक ऐसा देश है जहाँ महिलाएं अपने अधिकारों के बारे में बहुत कम ही बोलती थी, उन्हें तरह तरह से प्रताड़ित किया जाता था तथा उनपर समाज में बहुत से प्रतिबन्ध थे, खास कर दलित महिलाओं की स्थिति बहुत बुरी थी। सावित्री बाई फुले ने समाज में स्त्रियों के अधिकारों तथा उन्हें न्याय दिलाने के लिए काफी संघर्ष किया जिसके परिणामस्वरुप महिलाओं में जागरूकता आयी और उन्होंने समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए सावित्री बाई का साथ दिया। उन्हीं तथा उनके जैसे अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं की बदौलत आज इक्कीसवीं सदी की स्त्रियों ने स्वयं की शक्ति को पहचान लिया है और अपने अधिकारों के लिए भी लड़ना सीख लिया है। आज ही महिलाओं ने साबित कर लिया है वह हर क्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कन्धा मिलकर चल सकती हैं।

आधुनिक भारत में महिलाओं में जागरूकता लाने में सावित्री बाई फुले का अप्रतिम योगदान है। अतः उन्हीं की स्मृति में भारत में 10 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है।

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