जो आनंद इन बेर को खाने में है वो स्वाद बड़े बड़े मन को लुभाने वाले बाजारी बेर में कहाँ है।

आनंद बेर को खाने में है

बचपन में इन बेर को खाने और तोड़ने के लिए न जाने कितनी बार नानी से डाँट खाई है फिर भी पता नहीं कितने कांटो की चुभन सहकर इन्हें तोड़ने का सफल प्रयास किया है। हमारा गांव छोटा था वहाँ झरबेरी के पेड़ बहुत कम थे हमारे साथियों को पता चला बगल वाले गांव के पास झाड़ी में बहुत सारे बेर लगे हैं पककर एकदम लाल सुर्ख हो गए हैं इतनी महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी मिली थी और मेरे सारे साथियों का मन ललचा रहा था कि काश बेर तोड़ने जाया जाय लेकिन कैसे?

फिर हमने प्लान बनाया और सबको सुनाया थोड़ी बहुत नानुकर के बाद सर्वसहमति से प्लान पर सबके हस्ताक्षर हुए और अगले दिन घर से स्कूल जाने के लिए निकले और पूरी चण्डाल मंडली ने स्कूल जाने के बजाय बगल के गांव की ओर रुख किया सबकी नजरों से छुपते छुपाते आखिरकार मंजिल तक पहुँच गए और कांटो का दंश झेलने के बावजूद खूब बेर तोड़े कुछ खाये कुछ बस्ते में भर लिया।

हम सब दीन दुनिया को भूलकर अभी बेर तोड़ने में तल्लीन थे कि अचानक उधर से कोई गांव वाला साइकिल पर रेडियो बजाता गुनगुनाता हुआ निकला और हम सब का झुंड देखकर रुक गया और कड़कदार आवाज में पूछा- कौन हो तुम सब ? कहाँ से आये हो बाहर निकलो ! मेरी बेरी तोड़ रहे हो किससे पूछा था ? उसकी आवाज सुनकर सबकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई सब डरते डरते बाहर निकले और चुपचाप खड़े हो गए उसने फिर पूछा बताओ कहाँ से आये हो और कौन से स्कूल में पढ़ते हो? हमारे सारे साथियों की बोलती बंद थी । हमने अटकते अटकते स्कूल का नाम बताया तो वो बोला किस गांव के हो तब मेरे दिमाग की बत्ती जली और सोचा नाना जी के नाम का फायदा उठाकर बच लेती हूं जल्दी जल्दी गांव के साथ साथ नाना जी का नाम बताया और उनकी नतिनी हूँ ये बताना नही भूली नाना जी का नाम सुनकर वो आदमी थोड़ा नर्म पड़ा बोला अच्छा अब सब घर जाओ इन झाड़ियों में सांप होते हैं काट लेगे और हां सुनो सब लोग दुबारा फिर कभी मत आना ।

ये बोलकर वो चला गया तब हम की जान में जान आयी और हम सब फिर वहा से निकले । अब न घर जा सकते थे न स्कूल फिर सभी लोग गांव के बाहर सरसो के खेत मे छुपकर बैठ गए वही बेर को खाने और घर से लाये भोजन का लुत्फ उठाया गया जब स्कूल की आधी छुट्टी हुई तब घर आये और बोला कि आज आधी छुट्टी हो गयी लेकिन हमें नही पता था कि अभी दण्ड बाकी है। उस आदमी ने स्कूल में जाकर शिकायत कर दी थी अगले स्कूल पहुचने पर प्रार्थना के बाद फिर हम सब साथियों की मास्टर साहब के डंडे के द्वारा अच्छी तरह से पूजा हुई। बचपन की कुछ बाते कुछ यादे यू जेहन में बस जाती हैं जो कभी नही भूलती आज बेरी की तस्वीर देखकर अनायास ही इस घटना स्मरण हो आया तो सोचा आप सबसे साझा कर लूं।

लेखिका: अरुणिमा सिंह (उर्मिला)

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