हिंदू नव वर्ष (Indian New Year)- जानें इतिहास, महत्व और परंपराएं

Indian New Year Traditional Festival

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से हिन्दू नव वर्ष या भारतीय नव वर्ष (Indian new year) का प्रारम्भ होता है। हिन्दू धर्म में माह के दो हिस्से होते हैं पहला शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष। चैत्र माह की शुरुआत शुक्ल प्रतिपदा तिथि से होती है। शुक्ल अर्थात जब चंद्र की कलाएं बढ़ती है और फिर अंत में पूर्णिमा आती है।

भारतीय ग्रंथो में ऐसा लिखा है की भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण एवं भगवान विष्णु का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था। चैत्र नवरात्र का प्रारम्भ भी इसी दिन होता है।

इस समय मौसम सामान्य रहता है, न ही अधिक सर्दी और न ही अधिक गर्मी होती है। सूरज की चमकती किरणो और शुद्ध मध्यम गति की हवाओं से पूरा वातावरण नया सा लगता है। सभी वृक्षों में नई कोपले और नए पुष्पों को देख कर स्वयं में नव चेतना का परवाह रक्त के समान हो जाता है।

भारत के कई हिस्सों में गुडी पड़वा या उगादी पर्व (Indian new year के रूप में ) मनाया जाता है। इस दिन घरों को हरे पत्तों से सजाया जाता है और हरियाली चारो और दृष्टीगोचर होती है।

इस नव चेतना से भरपूर चैत्र नवरात्रि के नवे दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। उनके जन्म दिन को अयोध्या- वासी राम नवमी के नाम से मनाते हैं । सत्यवादी और मर्यादा प्रिय भगवान राम रावण जैसे अहंकारी राक्षस का विनाश करने के लिए इस धरती पर अवतरित हुए थे ।

आज के समय में भी हमारे समाज में बहुत से ऐसे रावण व्याप्त है जिनके विनाश के लिए आवश्यक है , भगवान श्री राम के अवतार की। तो क्यों ना हम स्वयं में ही भगवान श्री राम को देखे और इस समाज से रावण जैसे बुराइयों का नाश करें ताकि एक बार फिर से हमारा समाज राम राज्य के नाम से जाना जाये।

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